मुद्दतों बाद आज तुमसे बात होनी है
जाने कैसी होगी पर दो चार बात होनी है
ठहर के देख पाए तुमको पल भर…बहुत है
उसके बाद तो फिर से ये शाम होनी है
शाम हुई है तो फिर तुमको जाना होगा
मन ना होगा तो फिर कोई बहाना होगा
मैं रोक लूंगा तुमको जाने से यकीं है सोचकर
फिर से दिल को किसी तरह बहलाना होगा