क्या करें जब कोई रिश्ता बिगड़ जाए
लाख संभाले हम पर ना संभाल पाए
कोशिश कर भी ले कई मर्तबा मगर
दिल ये फिर से वहां ना लग पाए
क्या करें जब कोई रिश्ता बिगड़ जाए
एक तरफ वो हैं जो अपना है (शायद)
एक तरफ मैं हूं जो (पराया) तो नहीं
वो बात बात पर मुझे अपना कहता है
अपना हूं मैं अगर तो लगता क्यों नहीं
हर बात पर उसकी अब मुझे तरस आए
क्या करें जब कोई रिश्ता बिगड़ जाए
लाख संभाले हम पर ना संभल पाए