मैं तुम्हे इस तरह से चाहूं
जिस तरह से कोई किसी को चाहता नहीं है
मैं तुम्हे इस तरह से सोचूं
जिस तरह से कोई किसी को सोचता नहीं है
मैं तुम्हे इस तरह से पाऊं
जिस तरह से कोई किसी को पाता नहीं है
मैं तुम्हे इस तरह से समझूं
जिस तरह से कोई किसी को समझता नहीं है
मैं तुम में इस तरह से बस जाऊ
जिस तरह से कोई किसी में बसता नहीं है
मैं तुम्हे उस तरह से रोकूं
जिस तरह से कोई किसी को रोकता नहीं है
ख़ैर
मैं तुम्हे उस तरह से भूल जाऊं
जिस तरह से कोई किसी को भूलता नहीं है