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मोहब्बत

मैं सोचूँ अगर तुम मेरे पास हो
कभी तो हमारी मुलाक़ात हो
कभी तुम जो आओ हमारी तरफ़
जो मिल जाए दिल मुलाक़ात हो

मिलकर बतानी हैं हज़ारों कहानी
हैं तुमको सुनानी दिल की ज़ुबानी
अगर तुम ना आओ मैं फिर भी बुलाऊँ
बस तुमको मैं अपनी दास्ताँ सुनाऊँ
हैं मुझको तमन्ना तुम मान जाओ
मेरा दर्द तुम थोड़ा पहचान जाओं
हैं कब से तुम्हारा इंतज़ार मुझको
मैं बार बार देखूँ ख़यालों में तुमको
अभी भी तमन्ना हुआ वक़्त तो क्या
बस एक इशारा तुम समझ जाना
मुझे दुनिया ज़माने को नहीं समझाना
मैं बोलूँगा कुछ ना जब हम मिलेंगे
चाहत है मेरी ये दिल तब मिलेंगे
तुम भी समझना मोहब्बत को मेरी
हूँ मैं क्या और क्या कहानी है मेरी

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