एक आवाज़ सुनी है तुमने
तुमसे वो कुछ है कह रही
खुद खुदमें जो तुम कैद से हो
उस कैद से तुमको छीन रही
सब आसां है मुश्किल कुछ ना
दिल खुद को ये समझाता है
जो हुआ नहीं जो किया नहीं
क्यूं उसमें ध्यान लगाता है
जो बोलते है ऐसा होता नहीं
उनसे तू क्यूं घबराता है
सपना तेरा है उनका नहीं
फिर क्यूं उनसे आस लगाता है
चल छोड़ फिकर उनकी अब
उनकी नहीं अपने आप की सुन
है वक़्त बुरा कुछ लोग बुरे
रास्ता अपना अब तू खुद ही चुन