जिंदगी की किताब खोली
एक पन्ना फटा हुआ, गिर गया
देखना पढ़ना चाहता नहीं था
पर वो ज़िक्र तेरा कर गया
लिखी थी उसमें कुछ यादें
कुछ साथ में की हुई बातें
कुछ बेहतरीन मुलाकाते
सब कुछ तो है इसमें , रहा कुछ भी नहीं
मैं पढ़ा ही नहीं वो पन्ना जिसमें फिर तू नहीं
जिंदगी की किताब खोली
एक पन्ना फटा हुआ ,गिर गया
देखना पढ़ना चाहता नहीं था
पर वो ज़िक्र तेरा कर गया