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कौन चाहता है

क्या है क्या नहीं इसमें रहना कौन चाहता है

जिंदगी को इस तरह से जीना कौन चाहता है

औंरों के लिए जी लिए हम बहुत है इतना तो

अब और हमसे आखिर ये जहां क्या चाहता है

वक़्त हमनें देखा है कुछ ऐसा

जो बयां ना कर पाएंगे हम

तुम ये जो सोचते हो वो सही

अब समझा ना पाएंगे हम

कुछ तो है आखिर मेरा भी वजूद तुम भी समझ जाओगे

बहुत हुआ समझाना अब समझाना कौन चाहता है

एक ही ख्वाहिश मुकम्मल करें अपनी हर ख्वाहिश

दूसरों के लिए अब खैर जीना कौन चाहता है

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