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दास्तां

यहां हर कोई हैं बेताब कहने को अपनी दास्तां
हम अब अपनी कहानी सबको बताएं कैसे
यहां हर कोई डूबा हैं गमों के दरिया में
हम अब अपना गम सबको बताएं कैसे
सोच लेते हैं हम, सबसे कम , गम में हैं
अब जमाने का गम हम मिटाएं कैसे

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