कभी जब अक्सर मैं रात को जगता हूं
आधी अधूरी नींद में तुझे याद करता हूं
तुझे मैं ये बात बताना चाहता हूं
घर की याद आती है मुझे भी ये कहना चाहता हूं
यहां सब कुछ मतलबी है नहीं लगता मन मेरा
सब छोड़ के मैं भी घर आना चाहता हूं
कितनी दफा में तुझसे सच छुपाता हूं
हिम्मत ना हो फिर भी हंस जाता हूं
क्या है दिल में मेरे तुझे मालूम ना हो जाए
इस लिए मैं अक्सर घर कम आता हूं
तेरे होते हुए भी मैं अकेला रह जाता हूं
कितनी बातें दिल में है बताना चाहता हूं
हज़ार बार सोचता हूं तकलीफ देने से पहले
तुझे मैं बस खुश देखना चाहता हूं