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हार

मेरी हर हार पर वो खुश है

उसे लगता हैं मैं काबिल नहीं

उसकी हर शिकायत सुनता हूं

उसे लगता है  मैं हाज़िर नहीं

वो खुद ही है बस खुद ही है

उसे लगता हैं मैं अब कुछ नहीं

मैं क्या हूं मेरा खुदा जाने बस उसके आगे फिर कुछ नहीं

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